देवभूमि उत्तराखंड में योजनाएं तैयार, बस धरातल पर उतरने का इंतजार
प्रदेश सरकार 2030 तक उत्तराखंड को देश के टॉप थ्री पर्यटन डेस्टिनेशन में शुमार कराना चाहती है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने अपनी पर्यटन नीति में कई बदलाव किए हैं। धार्मिक पर्यटन से हटकर पर्यटन के नए क्षेत्र विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
 

उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। जिससे प्रदेश में नए पर्यटक स्थल में आधारभूत ढांचे विकसित हो सकें। वहीं, 13 जिलों में टूरिस्ट डेस्टिनेशन, होम स्टे योजना, साहसिक पर्यटन, टिहरी झील विकास, एडवेंचर, योग, वेलनेस आध्यात्मिक, पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ने समेत तमाम योजनाएं हैं। सरकार के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं। अब इन योजनाओं को धरातल पर उतारने का इंतजार है।

केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पर्यटन क्षेत्र में 10 लाख रुपये का निवेश होने से 90 लोगों को रोजगार मिलता है। वर्तमान में पर्यटन सेक्टर में उत्तराखंड की देश में 12 वीं रैकिंग है। 2020 तक सरकार ने देश के टॉप टेन पर्यटन स्थलों में शामिल होने का लक्ष्य रखा है। 2024 तक टॉप फाइव और 2030 तक टॉप थ्री में आने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्तराखंड को सुनियोजित ढंग से पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।


टिहरी झील में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा



एशियन डवलपमेंट बैंक (एडीबी) वित्त पोषित 1210 करोड़ की योजना से टिहरी झील को पर्यटन का हब बनाने के लिए पांच टूरिस्ट क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। कोटी कॉलोनी में एडवेंचर और तिवार गांव में सांस्कृतिक एवं ग्रामीण पर्यटन, डोबरा आपू में पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व की धरोहर और मदन नेगी में आर्गेनिक फार्मिंग क्लस्टर का हब बनाया जाएगा। इस योजना को केंद्र ने मंजूरी दे दी है।

इस वर्ष पांच हजार होम स्टे का लक्ष्य

सरकार ने पर्यटकों को सुविधा देने और पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए होम स्टे योजना शुरू की है। 2020 अंत तक पांच हजार होम स्टे बनाने का लक्ष्य रखा है। योजना में अभी तक मात्र 32 होम स्टे के लिए बैंकों से ऋण स्वीकृत हुआ है। करीब 1600 लोगों ने होम स्टे के लिए आवेदन किया है। होम स्टे के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने सात प्रतिशत स्टांप शुल्क की प्रतिपूर्ति पर्यटन विभाग के माध्यम से करने का फैसला लिया है। 

धरातल पर नहीं उतरी रोपवे योजना

पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार ने प्रसिद्ध शक्तिपीठों व पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ने की योजना तैयार की थी। इसमें ठुलीगाड़ से पूर्णागिरी, कद्दूखाल से सुरकुंडा देवी, घांघरिया से हेमकुंड, देहरादून से मसूरी, केदारनाथ, नैनीताल की रोपवे योजना सिरे नहीं चढ़ी है। योजनाओं की धीमी रफ्तार से उत्तराखंड को देश का टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने का लक्ष्य हासिल करना सरकार के लिए आसान नहीं है।

तीर्थ स्थल     -    यात्री (लाख में)
गंगोत्री   -     05.30
यमुनोत्री    -    04.66
केदारनाथ    -    10.21
बदरीनाथ     -   12.45
हेमकुंड साहिब    -     02.40